हमारे बारे में




* सफलता का मार्ग - मैं सक्षम हूँ *


ऐसा क्या है जो एक युवा को इतना निराश करता है?


क्यों परिवार के साथ उसका सामंजस्य कम हो रहा है?


उसकी प्रगति में रुकावट क्यों आ रही है?


अपनी जिंदगी, कारकिर्दी, परिवार आदी कई समस्याओं का समाधान कहां है?


उसकी व्यावसायिक समस्या के लिए मार्गदर्शन कहाँ है?








This Person



द्रुपद का परिवार शिक्षा जगत से जुडा है| बचपन से ही कई छात्र और उनके माता-पिता अपनी समस्या लेकर उसके घर आते थे, द्रुपद यह सब देखता, सुनता और समजता|

द्रुपद को बचपन से ही किताबे पढने का शैक रहा है| इस विशाल वाचन ने उनके मानसिक विकास में बहुत योगदान दिया|

कम उम्र से ही अपने विचारो को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता ने उसे कइ वक्तृत्व प्रतियोगिता औ मे सफल बना दिया|

जब द्रुपद १२वी कक्षा में थे तब उन्होने अपने सहपढ़ियो के लिए पहली बार “अपने आप को जानो” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया था|

वह पढने में बहुत अच्छा नही था, वह मार्कशीट वाली शिक्षण पध्धति में बहुत सामान्य था| उस समय उसने देखा की उसके आसपास बहुत से लोग वह क्यों पढ़ रहे है उसका भी उन्हें आभास नही है|

>


साथ ही किसोराव्स्था की समस्यासे अलग होती है और मार्गदर्सन के लिए बहुत कम लोग होते है|द्रुपद को भी तेजी से उढना था, जिसके लिए उन्होंने मार्केटिंग, डीजाइनिंग, होटल मैनेजमेंट जैसे कइ क्षेत्र मै प्रयास किए लेकिन अपेक्षित सफलता नही मिली|

द्रुपद, एक आर्थीक रूप से मध्यम वर्गीय परिवार का युवक, कइ अन्य मध्यम वर्ग के लोगो की तरह, उसके भी बहुत से ख्वाब थे, अपने लक्ष्य की और अस्पष्ट द्रष्टि|

लेकिन उसके साथ थी हार न मानने की मानसिकता, शिखते रहने और गिरने के बाद भी खडे होने की हिम्मत, पुस्तको का विशाल पढ्न और सदा उसके साथ रहता माता-पिता का प्रेम और स्नेह| जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव के बाद उसे अपने जीवन का लक्ष्य मिला|

एक बही चोट और उसे अंतदृष्टी हुइ ! वह अपने कम्फोटजोन से बाहर निकला, खुद को और दुसरो को समजने लगा| लोगो की मुश्केलियो को समजने लगा | और व्यावहारिक, मनोविज्ञानिक, आध्यात्मिक रूप से उन समस्याओ के समाधान के रास्ते समजने लगा, समजाने लगा, अपनी सफलता के रहस्यो को सहता किया|